Secondary memory kya hai? जैसा कि आप सब जानते हैं जब हम computer का use करते हैं तो हमें अपने important data को कंप्यूटर में save रखना पड़ता है जिससे कि हम दोबारा उस data या file को use कर सकें | कंप्यूटर में हमें एक ऐसा space मिलता है जिसमे हम अपना data save करके सुरक्षित रख सकते हैं | ऐसे space को secondary storage या secondary memory कहते हैं | मार्किट में ऐसे devices भी उपलब्ध हैं जिससे आप अपने data को कहीं और किसी अन्य कंप्यूटर में पहले की तरह use कर सकते हैं |
Technology का development इस कदर हो चुका हैं कि आप अपना data, ऑनलाइन भी save कर सकते हैं और कहीं से भी किसी भी कंप्यूटर के द्वारा उसे access भी कर सकते है और साथ ही उसको modify भी कर सकते हैं |
क्या आप जानते हैं कि वे कौन से device हैं जिनमे हम data save भी कर सकते हैं, data travel भी कर सकते हैं और ऑनलाइन भी use कर सकते हैं | और तो और इन devices में डाटा लेकर google drive पर डाटा upload और download भी किया जा सकता है | आज हम इन्ही कुछ बिंदुओं पर बात करेंगे |
Secondary memory किसे कहते हैं? Secondary storage क्या है?
वे devices जिसमे data permanently store किया जाता है, secondary storage device कहते हैं | इनको auxiliary या external device भी कहते हैं | इनमें data तब तक रहता है जब तक आप स्वयं उसे delete न कर दें | आप इसमें कोई भी नया data डाल भी सकते हैं और पहले से मौजूद data को delete भी कर सकते हैं |
secondary storage device primary devices की अपेक्षा सस्ते दामों में उपलब्ध होते हैं और इनकी data storage करने की क्षमता भी बहुत ज्यादा होती है |
Secondary memory Diagram in Hindi
Secondary memory devices को नीचे दिए गए diagram से आसानी से समझा जा सकता है | इसमें प्रत्येक category को अलग-अलग उदाहरण देकर समझाया गया है |
Types of Secondary memory devices in Hindi
ये storage devices दो तरह के होते हैं जिनको दो तरीके से approach किया जा सकता हैं
- Serial access /Sequential access device
- Random access /Direct access device
Serial Access/Sequential access device
इस तरह के device में data sequence में store और read किया जाता है आप कहीं से कोई data randomly use नही कर सकते | आपको एक series में one-by-one ही जाना पड़ेगा |
यह एक ¼ size की tape की तरह होती है जिसमे magnetically data store किया जाता है | यह re-writable होती हैं यानि के आप इसमें से data को delete और edit दोनों कर सकते हैं | जैसे – Magnetic tape |
Magnetic tape
आज के time में इसका use बहुत ही कम होता है | आपने अपने बचपन में इसे ज़रूर देखा होगा | उन दिनों ये बहुत popular हुआ करती थी | इसमें पहले audio songs के लिए use किया जाता था | जिसमे लगभग 8 songs हुआ करते थे, 4+4 के अनुपात में | 4 songs चल जाने के बाद इसको बदलकर दूसरी तरफ से चलाया जाता था | इसमें एक के बाद दूसरा song चलता था | इसको कहीं से भी आप बीच में से चला तो सकते थे, लेकिन बीच में से चलाने के लिए आपको इसे थोडा-सा forward करना पड़ता था |
लेकिन जैसे-जैसे ज्यादा storage कि ज़रुरत पड़ने लगी वैसे वैसे इसका प्रयोग होना बंद होता चला गया | Magnetic tape का प्रयोग VCR आदि में भी किया जाता था | शादियों में भी विडियो बनाने के लिए इसी तरह कि cassette का प्रयोग किया जाता था |
Random access/Direct access device
Direct access devices को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है |
Magnetic disk
Magnetic disk के अंतर्गत तीन तरह के device शामिल हैं जिन्हें direct access किया जा सकता था | यानि कि इन्हें short term में प्रयोग किया जाता था |
Floppy disk
यह एक हार्ड प्लास्टिक से बनी होती है जिसमे एक गोल circle जैसी magnetic field वाली प्लेट होती है जिसमे data store किया जाता है | इसका size साढ़े तीन इंच (3-½) होता है जिसकी storage capacity approx 1.4 MB होता है | यह भी अब बहुत ही कम use होता है |
Hard disk
यह metal की बनी हुई एक device होती है जिसमे बाकी devices के मुकाबले काफी सारा data store किया जा सकता है | सभी computers और laptops में हार्ड disk का use किया जाता है |
Pen-drive
यह device बहुत कमाल की चीज़ है | देखने में यह बहुत छोटी होती हैं | इसकी सबसे बड़ी और खास बात ये है कि इसमें data store करके आप कहीं भी जा सकते हैं और किसी भी कंप्यूटर में लगा कर data ले सकते हैं | यह USB port के साथ उपलब्ध होती हैं जिसको किसी भी कंप्यूटर में लगाया जा सकता है | इसको अनगिनत बार delete या format करके use किया जा सकता है |
यह computer के USB port से connect होकर चलती है लेकिन आज मार्किट में ऐसी pen-drive भी available हैं जिनको USB और OTG दोनों तरह से use कर सकते हैं | यहाँ तक के आप अपने android फ़ोन में भी इसका use कर सकते हैं |
USB OTG
USB On-the-Go | इसमें एक PCB -Printed Circuit Board होता है जिसमे memory chip लगी होती हैं जिनको manufacturer द्वारा पहले program किया हुआ होता है | market में कुछ famous pen-drive बनाने वाले ब्रांड available हैं, जैसे – SanDisk, Transcend, Kingston, HP आदि |
ये 512 MB से लेकर 128GB और 1TB तक के storage space के साथ market में मिल जाती हैं | वैसे Pen-drive 2001 से ही popular हैं लेकिन उस समय ये काफी महंगी हुआ करती थी |
Optical Disk
ये दो भागों में विभाजित की जा सकती है |
CD (Compact Disk)
यह plastic की एक circle disk की shape में होती है | इनमें मुख्य रूप से optical rays use की जाती हैं जिसके द्वारा data write and read किया जाता है | ये तीन टाइप की होती है
CD-ROM (Compact Disk-Read only memory)
इस तरह की disk में सिर्फ एक बार data write किया जा सकता है और बार बार पढ़ने के use किया जा सकता है | जो कि ज्यादातर manufacturer द्वारा बनाई जाती हैं और प्रोडक्ट्स के साथ user manual के तौर पर दी जाती हैं |
CD-R (Compact Disk-Writable)
इस तरह की CD को कोई भी अपनी ज़रुरत के हिसाब से data write कर सकता है लेकिन इनमें भी सिर्फ एक बार ही data write किया जा सकता है और बार read करने के लिए use किया जाता है |
CD-RW (Compact Disk-re-writable)
ये disk ऊपर बताई गयी दोनों तरह की CD में सबसे बेहतर होती हैं क्योंकि इसमें कोई भी user अपनी मर्ज़ी से data बार बार write कर सकता है और read कर सकता है | ये CD-ROM और CD-R से थोड़ी महंगी होती है |
यहाँ बताई गयी तीनों CD का अधिकतम space 700-800 MB (Mega Byte) तक ही होता है | आज के समय में इनका उपयोग थोड़ा कम हो गया है | सन 2000 से 2013-14 तक इनका बहुत use किया जाता था | विशेष कर MP3 songs और Movies के लिए ये बहुत popular थी |
DVD (Digital versatile disk)
यह बिलकुल CD की तरह ही होती है size भी same CD के जैसा ही होता है बस अंतर सिर्फ ये होता है कि इसकी storage capacity CD से बहुत ज्यादा होता है और इसी वजह से ये बहुत ज्यादा popular थी | इसका size अधिकतम 4.5 GB तक होता है यानि के CD से लगभग 6 गुना ज्यादा |
Scratches पड़ने पर CD और DVD दोनों हो ख़राब हो जाया करती हैं और इनका data read करना काफी मुश्किल हो जाता है लेकिन फिर भी इनका use data storage के रूप में किया जाता है |
SD-Card (Secure Digital memory card)
यह भी pen-drive की तरह ही storage device होता है इसका size ½ inch के लगभग होता है | इसका प्रयोग मुख्य रूप से मोबाइल का space बढ़ने के किया जाता है | इसको आप card reader में लगाकर USB pen-drive की तरह भी use कर सकते हैं | इसकी data transfer speed काफी अच्छी होती है और 2.0 and latest version 3.0 की स्पेसिफिकेशन के साथ मार्किट में available हैं |
मान लीजिये आप कोई काम कर रहे हैं और आपके पास temporary storage है जिसमे data तब तक ही save रहता है जब तक आपका कंप्यूटर चल रहा है मतलब power continue on है | जैसे ही power कट होती है आपका किया हुआ सारा work गायब हो जाता है,जिससे आपको वो ही काम फिर से करना पड़ेगा जिसमे काफी सारा time waste होगा |
इसी risk से बचने के लिए computer में secondary storage का प्रयोग किया जाता है जिससे हमेशा के लिए permanently data store किया जा सके और इसे भविष्य में कभी भी use किया जा सके |
Secondary Storage devices के महत्व
Secondary memory devices के आने से बहुत से डाटा को एक साथ रखना बहुत आसान हो गया है | साथ ही जिस डाटा को रखने के लिए बहुत सारा पेपर use होता था जिसके कारण हर साल सैंकड़ों पेड़ों को काट दिया जाता था, वह भी कम हो गया | इसके अलावा भी बहुत से फ़ायदे secondary storage के आने के कारण हुए | आइये इनके बारे में जानते हैं-
- Secondary memory के आने से बहुत से डाटा को एक file के रूप में रखना आसान हो गया|
- Secondary memory के कारण paper work load कम हो गया |
- Pen-drive और hard disk जैसे devices के आने से डाटा को लेकर travel करना आसन हो गया |
- Multimedia devices में storage क्षमता बढ़ने लगी जिससे ज्यादा से ज्यादा डाटा को computer या मोबाइल जैसे devices में रखने में मदद मिलने लगी |
- Secondary memory devices के आने से computer लैपटॉप mobile टेबलेट आदि एक साथ कई टास्क perform होने लगे और computer के हैंग होने वाली समस्या से भी निजात मिलने लगी |
Computer में कितना secondary storage होना चाहिए |
इसके लिए कोई फ़िक्स पैमाना नही कि आपका secondary storage कितना हो | ये सब इस बात पर depend करता है कि आपके पास कितना और किस तरह का data है |
secondary storage में आप images, text videos MP3 music और अन्य प्रकार की file को store कर सकते हैं | secondary storage का size user के ज़रुरत के हिसाब से तय होता है वैसे normally इतना तो space होना ही चाहिए जिसमे आप ज़रुरत पड़ने पर कोई भी अपनी आवश्यकता का software install कर सकें, वीडियो डाउनलोड करके storage में save कर सकें |
500 GB storage normally रखा जा सकता है वैसे आप 250 GB यहाँ तक कि 80 GB तक भी storage रख सकते हैं | फिर भी आप ज्यादा data रखना चाहते हैं तो space ज्यादा ही लें तो सही रहेगा |
Secondary storage devices ऐसे devices होते हैं जो हमारा data सुरक्षित रखने में हमारी सहायता करते हैं | इनका उपयोग आप किसी भी कंप्यूटर, लैपटॉप, smartphone आदि में कर सकते हैं | जिसमे आप बड़ी मात्रा में information को एक file के रूप में रख सकते हैं |
Conclusion (निष्कर्ष)
Secondary Storage devices वे devices हैं जिनमे data को काफ़ी लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है | यह बहुत सी industries में use किया जाता है | मूवी world में तो सबसे ज्यादा इसका use किया जाता हैं | secondary storage कभी ख़त्म नही होगा बस इसका रूप बदलता रहता है |
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