Operating system kya hai? कैसे काम करता है? आपने कई बार ये शब्द सुना होगा की कंप्यूटर में windows install करनी है,या windows डालेगी | इस तरह के शब्द आम तौर पर use किये जाते है जिसका मतलब कंप्यूटर के operating system से होता है |
एक समय ऐसा था जब windows`98 बहुत use होता था | उसके बाद windows-XP use होने लगा जो windows`98 का updated version था | जो बहुत ही user friendly था जिसे चलाना और सीखना बहुत आसान था | आज भी बहुत सारे office में ये आपको देखने को मिल जायेगा |
कंप्यूटर में हम जो भी कार्य करते हैं वो सब operating system की वजह से ही हो पाता है | बिना operating system के कंप्यूटर में कुछ नही हो पाता | Operating System को short में OS भी बोला जाता है |
जब भी हम कंप्यूटर में कोई भी software install करते हैं और उस पर कार्य करते हैं , तो उसको install करने और run करने की ज़िम्मेदारी OS की ही होती है |
Definition of Operating system in Hindi
Operating System एक program होता है जो user और computer के बीच interface की भूमिका निभाता है | यह निर्देशों का एक समूह होता है जो कंप्यूटर की memory में store होता हैं और कंप्यूटर से जुड़े input output Devices जैसे- keyboard ,mouse, printer आदि को task perform करने के लिए निर्देशित करता है |
Operating System को mobile and computer दोनों में use किया जाता है | जैसे windows`98, windowsXP, Windows 7, Windows 8 Windows 10, और मोबाइल में Android Kitkat, Marshmallow, Lollipop आदि |
OS Full form
OS मतलब = Operating system | वह system या software जिससे पूरा computer operate किया जा सके और computer से जुड़े input-output devices को भी कण्ट्रोल किया जा सके |
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Operating System kya hai | OS कैसे कार्य करता है?
जैसा की हमने बताया की Operating System user और hardware के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है | कंप्यूटर को जो भी instruction दिए जाते हैं ये उनको समझता है और कंप्यूटर से जुड़े hardware को task perform करने के लिए निर्देश देता है |
जैसे कि हमने कंप्यूटर में कोई document print करने की command दी तो यह पहले OS के पास जाएगी फिर CPU में analyse की जाएगी जिससे ये confirm किया जाता है कि कंप्यूटर से कोई printer जुड़ा हुआ है या नही |
अगर जुड़ा है तो फिर से ये command OS के पास आएगी और OS ये command printer को pass कर देगा और printer document को print करना शुरू कर देगा |
Operating System के कार्य
Computer में जितने भी task perform होते हैं उन सभी को Operating System के द्वारा ही control किया जाता है | जैसे music सुनना ,वीडियो देखना ,एडिटिंग करना ,इंस्टालेशन करना और भी बहुत कुछ | नीचे कुछ मुख्य कार्य बताए जा रहे हैं |
Computer और user के बीच coordinate करना
यह कंप्यूटर और user के बीच तालमेल स्थापित करता है जिसमे compiler, assembler और Interpreter को task perform करने के लिए देता है जिससे user किसी भी program को use करे उसमे कोई प्रॉब्लम ना आए |
यह Modem के द्वारा user के कंप्यूटर को बाकी दुनिया से जोड़ने का काम करता है जिसके कारण communication gap कम हो जाता है और email जैसी social सुविधाओं से user दुनिया से जुड़ पाता है |
Device का management करना
यह कंप्यूटर से जुड़े सभी hardware को manage करता है कि कोई task कितने समय के लिए particular device को दिया गया है | जैसे printer को 5 पेज print करने के लिए बोला जाता है तो वह 5 पेज print करके रुक जाता है और नए instruction का wait करता है |
ऐसा नही कि printer लगातार पेज print किये ही जा रहा है | या mouse से किसी function पर click कर दिया तो वह command execute हो जाती है | फिर अगले function पर click किया जाता है | इन सबको Operating System द्वारा ही control किया जाता है |
Error detecting (त्रुटि ढूंढना)
computer में किसी भी program को execute करते समय अगर कोई problem आती है तो उसे कंप्यूटर एक error box में दिखाता है, साथ से यह भी दिखाता है कि error किस point पर है |
मान लीजिए आपने 10 पेज print के लिए दिए और printer में 6 पेज ही हैं तो कंप्यूटर 6 पेज print करने के बाद रुक जायेगा और paper लोड करने का massage show होगा |
या फिर आप कोई software install कर रहे हो और उसकी specification आपके कंप्यूटर की configuration से match नही कर रही तो Operating System तब भी error दिखा देगा और software को install नही करेगा |
File management (file का प्रबंधन करना)
files का management भी OS के द्वारा ही किया जाता है किस file को कहाँ और कितना space देना है ये Operating System ही allocate करता है | आपने देखा होगा जब हम कंप्यूटर में files या folder बनाते हैं तो वे सभी एक व्यवस्थित रूप से एक navigation में स्थापित होते हैं | by default ये सभी alphabetically ही arrange होते हैं |
file बनाते ही कंप्यूटर खाली space में से file के size कम show कर देता है और उस file को delete कर देने पर वापस उतना ही space दिखाना शुरू कर देता है | कई बार ऐसा भी होता है कि जैसे हम कोई file या folder जिसे directory भी कहते हैं अपने कंप्यूटर में outsource से लेते हैं |
जैसे pen-drive, और उसका data का size 2GB है और computer में available size सिर्फ 900MB ही है तो Operating System यहाँ error massage show करने लगता है कि इस data के लिए कंप्यूटर में पर्याप्त space नही है |
Task Accounting
आप सभी ये तो अच्छी तरह जानते हैं की कंप्यूटर एक बार में कई task perform कर सकता है जिसके कारण हमारा समय save होता है | मान लीजिए आपने कंप्यूटर को कई task एक साथ दे दिए |
तो इस condition में कंप्यूटर का OS सभी task में busy हो जायेगा और ज्यादा ध्यान उस task पर देगा जिस को पूरा करने में कम समय लगता हो, और उसे पूरा कर देगा और इसी sequence में अगले task में busy हो जायेगा |
यहाँ पर Operating System ये भी observe करता है की किसी task को कितने समय में पूरा कर लिया जायेगा | जब आप कोई data कॉपी करते हैं तो तो उसका remaining time भी show होता रहता है |
Memory management (स्मृति प्रबंधन )
Operating System दोनों तरह की memory को use करता है primary यानि RAM और secondary यानि hard disk | जब भी हम कोई भी program open करते हैं तो वह RAM में ही open होता है और जब हम use save कर देते हैं तो वह permanently hard disk में store हो जाता है |
जब program open होता है तो उसको primary memory में space allocate कर दिया जाता है और program close होने पर memory को वापस de-allocate कर दिया जाता है |
Operating System कुछ और process में भी busy रहता है जैसे clock दिखाना, Desktop के icon का management,I/O controller,Antivirus, आदि | इन सभी का प्रबंधन Operating System द्वारा automatic ही किया जाता है जो बैकग्राउंड में अपने आप system के start होते ही चलते रहते हैं |
Processor Management
जब कंप्यूटर को बहुत से task एक साथ दे दिए जाते है तब Operating System ही decide करता है कि किस को कितनी देर की लिए CPU देना है अगर task बड़ा है जिसमे ज्यादा time लगने वाला है तो use ज्यादा देर के लिए CPU provide कर दिया जाता है जिससे वो task पूरा हो सके | task के पूरा होने के बाद CPU को free कर दिया जाता है | इसे processor scheduling भी कहते हैं |
Security (सुरक्षा का ध्यान रखना)
Operating System के साथ हमें एक और feature मिलता है और वो है security का | इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये होता है कि यह आपके कंप्यूटर को unauthorized access से बचाता है |
आपके अलावा सिर्फ वह व्यक्ति ही computer को access कर सकता है जिसके साथ आपने password share किया हुआ है | ये operating system का अपना feature होता है जिसमे password को create या remove किया जा सकता है |
Password kya hai | Strong password kaise banaye
Troubleshooting (समस्या निवारण)
अगर Operating system में कुछ error आ जाता है जैसे कोई फंक्शन काम करना बंद कर देता है तो troubleshoot करके Operating system वापस इसे recover कर लेता है और system restart करके ये प्रॉब्लम solve हो जाती है |
Operating system प्रयोग करने के तरीके |
Operating system को दो तरीके से use किया जाता है -CUI और GUI |
CUI- Command-line User Interface
इसमें use करने के लिए computer में निपुण होना आवश्यक है क्योंकि इसमें character द्वारा command दी जाती है तभी program execute होता है | बहुत सारी command और syntax को याद रखना पड़ता है जैसे DOS-disk operating system | पहले समय में इसी से कंप्यूटर लोड होता था और use किया जाता था |
उस समय mouse नही use होते थे क्योंकि pointing facility नही थी जिससे किसी object को click करके computer को command दी जा सके | DOS को अभी भी use किया जाता है और सभी operating system के साथ default आता है |
आप window key के साथ R दबायेंगे और massage box में cmd टाइप करके enter करेंगे तो DOS run हो जायेगा |
CUI में एक बार में एक ही program को run किया जा सकता है जिससे बाकी कामों को करने में बहुत time लगता है | ये बहुत ही time consuming process है |
GUI- Graphic User Interface
GUI यानी Graphical user interface,इसमें graphical objects जैसे-click करना ,menu select करना, ok पर click करना, किसी भी section में data डालना आदि को mouse के द्वारा click करके program को run किया जाता है |
mouse में right click करके option select करना,properties select करना,icon पर click करके select करना आदि किया जाता है | इसमें object को देखते ही पता चल जाता है कि use को क्या action लेना है |
Types of Operating system in Hindi
समय के साथ computer की programming और Operating system में बहुत सारे changes किये गए जिनके बारे में हम बात करने जा रहे | Operating system को develop करने का एक ही मक़सद था कि किसी भी तरह कंप्यूटर को आसान बनाया जाए और उससे ज्यादा से ज्यादा काम लिया जा सके | आइए कुछ Operating system पर नज़र डालते हैं |
Batch Operating system
इस Operating system को दूसरी पीढ़ी में प्रयोग में लाया गया | उस समय computer और user के बीच direct कोई connection नही होता था,मतलब real-time में कंप्यूटर में कोई भी changes नही किये जा सकते थे |
इस समय के computer से जब कोई program run कराना होता था तो use command देकर छोड़ दिया जाता था जिसमे program एक bundle के रूप में होता था,इसमें काफी वक़्त लगता था |
इसीलिए similar program को एक bundle form में कंप्यूटर में लोड कर दिया जाता था | जिससे सभी program एक साथ execute हो कर,एक साथ result भी show कर सके |
इस पीढ़ी के कंप्यूटर में punched cards use किये जाते थे जिनमे program के instructions लिखे होते थे और कंप्यूटर इनका result एक अलग secondary storage में लोड कर देता था |इन दिनों छोटे से छोटे program का result लेने में भी कई दिनों का समय लग जाता था |
Advantages of Batch Operating system
इसमें एक ही language में लिखे program execute होते थे जिनका पहले बैच बनाया जाता था जैसे-Photon, Fortran, Cobol आदि | इसमे बैच के अनुसार ही program run और execute किये जाते थे |
एक बार program लोड करने के बाद बीच में कोई interaction नही किया जा सकता था जब तक program पूरा execute न हो जाए,इसलिये बिना किसी mistake के program को लिखा जाता था |
एक तरह की language में बना बैच पूरा होने के बाद ही दूसरा बैच execute होता था | जिससे time की saving होने लगी | क्योंकि user same program एक साथ लोड कर देता था, इसे spooling के नाम से जाना जाता है |
इसमें computer की memory में पहले ही instruction दिए जाते थे कि पहला बैच ख़त्म होने के बाद तुरंत दूसरा बैच start करे |
Multi programming batch Operating system
इस Operating system में एक से ज्यादा program को एक साथ execute किया जाता है इसलिए इसे multi programming Operating system कहते हैं | इसमें Operating system CPU को कभी भी खली नही होने देता क्योंकि खाली होने से CPU idle mode में चला जाता है जिसे फिर से running state में लाने में काफी वक़्त लगता है |
इसलिए इसमें कई programs को sequence में लोड किया जाता है जिससे Operating system एक program execute होते ही दूसरा program execute कर सके |
साथ ही ये भी ध्यान रखता है कि कंप्यूटर से जो I/O devices जुड़े हैं उन्हें भी CPU provide किया जा सके | इसमें CPU को program execute करने के बाद दूसरे program के लिए wait नही करना पड़ता जिससे ज्यादा से ज्यादा रेसिल्ट हासिल किये जाते है और CPU का पूरा use किया जाता है |
Operating system ही ये decide करता है कि कौन सा program पहले execute होगा और कौन सा बाद में |
Multiprocessing Operating system
इस तरह के Operating system में एक से ज्यादा processor का use किया जाता जिससे बहुत सारे task एक साथ perform किये जा सकते हैं | क्योंकि बहुत सारे processor होते हैं |
इसलिए किसी भी program को execute होने के लिए ज्यादा wait नही करना पड़ता और बहुत सारे result हासिल कर लिए जाते है वो भी काफी कम समय में |
इस generation में processor को काफी शक्तिशाली बनाया गया है जिससे एक processor एक समय में कई task perform कर सके और ज्यादा time saving हो सके | एक task को sub केटेगरी में divide कर दिया जाता है जिससे ज्यादा task processor को दिए जा सकें और आसानी से perform किये जा सकें |
Distributed Operating system
इस तरह के Operating system में एक से ज्यादा computer को connect करके task perform किये जाते हैं जिससे processor के working load को कम किया जा सके |
इसमें task को एक दूसरे system से share करके task performance स्पीड को बढ़ाया जा सकता है |
इसमें कंप्यूटर के CPU और I/O devices के अलावा सभी resources को share करके task को execute किया जाता है |
जब किसी system के पास अधिक execution program होने से दूसरे system को share कर दिया जाते है जिससे particular system के load को कम किया जा सके |
इसमें एक system के साथ एक ही user interact कर सकता है | इसमें processing fast होती थी जिससे कम समय में ज्यादा result लिए जा सकते थे |
Network Operating system
इस Operating system में एक server होता है जिससे दो या उससे ज्यादा computers को connect करके task perform करने के लिए दिए जाते है | इसमें data,security,application आदि को share करने की पूरी अनुमति होती है |
इसमें पूरा data security purpose से server में सुरक्षित रखा जाता है जिससे किसी और client कंप्यूटर के fail होने पर data को backup के रूप में फिर से use किया जा सके |
इसमें client computer को server कंप्यूटर के configuration और internal connections की भी पूरी जानकारी save रहती है जिससे data,file,application आदि को share करने में कोई परेशानी न हो सके |
इसमें system failure होने की सम्भावना कम हो जाती है क्योंकि interconnect होने के कारण workload कम हो जाता है | task दूसरे system को share कर दिया जाता है |
सभी client कंप्यूटर की security की ज़िम्मेदारी server कंप्यूटर की होती है ,क्योंकि यही सभी computers को control करता है | इसीलिए इसे बार-बार modify और update करना पड़ता है |
Real-time Operating system
इन system का प्रयोग तब use किया जाता है जब हमें exact और जल्दी result चाहिए होता है जिसमे CPU की result timing बहुत महत्वपूर्ण होती है | इन्हें real time OS कहते है मतलब इसमें कंप्यूटर को दिया गया input और मिलने वाला result के बीच का समय बहुत ही कम होता है |
जैसे-मिसाइल और space Rocket launching आदि | इस प्रकार के OS में timing बहुत ही important होती है ज़रा भी ऊपर नीचे होते ही पूरा प्रोजेक्ट fail हो जाता है |
इसमें CPU बिलकुल भी idle mode नही जाता है | साथ ही device और system का भरपूर उपयोग किया जाता है | एक समय में एक ही task को perform किया जाता है जिससे system के hang होने की समस्या नही होती |
रेलवे , Airlines और Transportation में भी इसका use किया जाता है जिससे real-time मिल सके और duplicate न हो सके |
Conclusion (निष्कर्ष):
Operating System ही वो software होता है जो computer को पूरी तरह से control करता है | ये ठीक वैसे ही काम करता है जैसे की इंसान का दिल ,जो पूरे शरीर को control करता है | OS ही वो software है जो सभी software को चलाने की क्षमता रखता है |
Hardware और Software को handle करना, external devices जैसे –Printer, web camera, Projector, आदि को भी control और run करना भी OS की ही ज़िम्मेदारी होती है |
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